कान में
ईयरफोन लगाये
मोबाइल से
गाना
सुनने में मस्त
वीरू
मजदूर मंडी में
अपनी बारी की
प्रतीक्षा
कर रहा था
सुबह का
दस
पार हो रहा
था
मै भी एक
मजदूर की
तलाश में वहाँ
उपस्थित था
मुझे देखते
ही वह
कान से इयरफोन
निकालते हुए
मेरी ओर लपका
साथ के आठ
दस
मजदूर भी आगे
लपके
कार्य की प्रकृति
और
रेट पर चर्चा
हो रहा था
पर वह एक
ओर
किनारे खड़ा
था
अपनी भाव भंगिमा
से
मुझे मुग्ध
कर रहा था
मैंने उसको पास
बुलाया
काम करना है
करना है साब
क्या लोगे
दो सौ साठ
का रेट
चल रहा है
मगर इग्यारह
बज रहे है
कान से इयरफोन
निकालते वह
बोला
साब एक घंटा
बेसी
खटवा लेना
आज सुबह ही
एक ट्रक
बालू ठीके पर
फेका है
शाम को भी
गिट्टी का
एक ठेका लिया
है
कितना काम करोगे
यार
करना पड़ेगा
साब
बाबू का गया
श्राद्ध
आज से आठवें
दिन करेका
है
माई का फोन
परसों अव रहे
कि बचवा तनी
कस के
कमावे का है
बहुत दिनन से
तुम्हरे
बाबू के गया
बिठावे का
काम पड़ा है
उनकी आत्मा
बेचैन
होइ रहित होइए
पंडित जी बारह
हजार का
खर्चा बतावा
रहेन
वही पाछे हम
हियन
दिन रात खट्टित
है
बाबू के मरे
कितना दिन हुआ
साब दस साल
के ऊपर
होइ गवा
खैर वह
मेरे साथ आया
दिन भर काम
के उपरांत
अपनी मजदूरी
ले
वापस चला गया
शाम को
किसी काम से
मै उसी मजदूर
मंडी
की ओर जा
रहा था
एक जगह भीड़
देख
आशंकावश
ठिठक गया था
सामने बीरू
बेहोश पड़ा था
उसके साथी बेचैन
हो
उसको पंखा झल
रहे थे
साथ साथ आपस
में
चर्चा कर रहे
थे
सरवा बाऊ के
गया बिठावे
वदे
ई जान देइ
काम करित है
ससुर क नाती
नाही त
बाऊ त एका
कब का चला
गईंन
इहो माई अउर
नइकि
मेहरारू के
छोड़
हुवन जाये
क
तैयारी करित
है
निर्मेष