फ़ॉलोअर

रविवार, 12 सितंबर 2010

अंध विश्वाश और उसका प्रचार

आज धर्म के नाम पर कुछ धर्म के कथित ठेकेदार अन्धविसवासी प्रवृति को नये-नये कलेवर में बढ़ावा दे रहे हैं। परिणाम स्वरूप अंधविश्वास से ओत प्रोत व्यक्ति धर्म के कथित ठेकेदारों द्वारा प्रस्तुत घटनाओं अथवा कथनों पर स्व-विवेक से काम न लेकर सुझायी गयी बातों पर पूर्ण विश्वास कर लेते हैं। वे कथित सुझायी गयी बातों पर तनिक भी विचार नही करते कि उक्त के अनुपालन में उनका वांछित लाभ होगा अथवा नुकसान। वे तो बस अपने कथित ”गुरू अथवा महाराज “ की बातों से प्रभावित होकर श्वयम के द्वारा ही उत्पन्न की गयी मुसीबतों/ समस्याओं से बचने के लिए सुझाये गये रास्ते पर चल पड़ते हैं। उन्हें पूर्ण विश्वास होता है कि उक्त सुझाये गये पथ पर ही उन्हें वाछित लाभ होगा अन्यथा उन्हें कठोर यातना सहनी होगी।ऎसी ही प्रवृति से ग्रसित व्यक्ति की क्रिया कलापों के परिणाम स्वरूप मेरे घर के दरवाजे पर करीब 10-12 पर्चे ड़ाले गये जो दरवाजे पर नाली की तरफ बिखरे हुए पाये गये। कौतुहल वश मैंने उन्हें उठाकर पढ़ा। उक्त पर्चों पर मजमून कुछ इस प्रकार था तथा पर्चे के बीच में श्री सांई बाबा की तस्वीर भी छापी गयी थी।सांई बाबा का अद्भुत चमत्कारमद्रास शहर के पास सांई बाबा के मंदिर में एक भयानक दृष्य देखा गया, उस मंदिर मेें पुजारी पूजा कर रहा था । अचानक एक सर्प निकला उसे देखकर पुजारी डर गया। सर्प कन्या के रूप में आकर बोली डरने की कोई बात नही, जो कहती हूँ ध्यान से सुनो। मैं थोड़े दिन में पृथ्वी पर अवतार लूगीं जो धर्म का नास करते हैं उसका नास करूगीं। जो मेरे नाम का 100 पर्चे छपवाकर बांटेगा, 24 दिनों के अन्दर मेैं उसकी मनोकामना पूर्ण करूगीं,जो आज कल करके 24 दिन बितायेगा, उसका बड़ा नुकसान होगा।इतना कहकर सर्प रूपी कन्या 2 फुट पीछे हटकर अन्र्तध्यान हो गयी। यह खबर सुनकर मुम्बई के एक आदमी ने 2000 पर्चे छपवाकर बांटे तो उसे 51 लाख रूपय की लाटरी निकली। धनबाद के एक रिक्षा चालक ने 6000 पर्चे बांटे तो उसे आठ दिन में हीरों से भरा कलष मिला। एक बेरोजगार लड़का पर्चे छपवाने की सोच रहा था कि उसकी नौकरी लग गयी । उसने 1000 पर्चा छपवाकर बांटा।एक आदमी ने उसे झूठा समझकर फाड़ दिया तो उसका लड़का मर गया। आगरा के बाबू लाल गुप्ता को पर्चा मिला तो उसने सोचने में ही एक महीना बिता दिया, उसे ब्यापार में काफी नुकसान हुआ और उसकी पत्नी मर गयी। यह सुनकर बानतला गाँव के 5 भाईयों ने 1200 पर्चा बांटा तो एक घंटे के अन्दर 15 लाख की लाटरी मिली और उन्होने एक मंदिर बनवाने की सोची।।। जय सांई बाबा की जय ।।इस पर्चे को पढ़ने पर छापे गये तथ्यों के सार को इस प्रकार विश्लेशित किया जा सकता है। - क्या घटना का उल्लेख करने वाला व्यक्ति घटनाओं की पूरी जानकारी रखता है ?- क्या उसके द्वारा घटनाओं की सत्यता की पुश्टि की गयी है ? - जब उस सर्प कन्या द्वारा मात्र 100 पर्चे ही छपवाने पर मनोकामना पूर्ण करने का आष्वासन दिया गया था तो उल्लिखित व्यक्तियों ने क्रमशः 2000, 6000,1000 एवं 1200 पर्चे क्यों छपवाये ?- पर्चे छपवाने वालों को क्रमशः 51 लाख रूपये की लाटरी, हीरों से भरा कलश, एक बेरोजगार को नौकरी तथा पांच भाईयों को 15 लाख रूपये की लाटरी का लाभ मिला। उक्त की पुष्टि क्या निवेदक द्वारा की गयी ?- निवेदक को क्या लाभ मिला इसका उल्लेख क्यों नही किया गया ?- पर्चा झूठा समझकर फाड़ने वाले का लड़का मर गया। क्या सांई बाबा इतने कठोर हृदय के हैं कि पर्चे न छपवाने पर वे किसी की जान भी ले सकते हैं ? जबकि मेरे संज्ञान के अनुसार श्री सांई बाबा बहुत ही उदार एवं सहज प्रवृति के तथा सर्व जन कल्याण की कामना रखने वाले सात्विक विचारों और सभी धर्माें को मानने वाले अवतारिक सख्शियत देव पुरूष थे, जो आज भी चमत्कारिक रूप से सर्व जन कल्याण कर रहे हैं। ऐसे पर्चे छपवाकर निवेदक समाज को क्या सन्देश देना चाहता है, यह पूर्णतयः स्पश्ट है। यह संदेश लोगों मेंअंधविश्वास फैलाकर जन सामान्य की धार्मिक आस्था को चोट पहुँचाकर उसे तनाव ग्रस्त करने का ही मंतव्य रखता है। पर्चे पर मुद्रक का नाम त्रिवेदी प्रिन्टर्स छपा है तथा मोबाइल नंबर भी दिया गया है-9889923509. इस नंबर पर संपर्क करने पर कोई बात ही नही हो पाती है।
एस. आर. भारती

5 टिप्‍पणियां:

KK Yadav ने कहा…

बहुत सुन्दर और सटीक लिखा...

Amit Kumar Yadav ने कहा…

भारती जी से सहमत...सारगर्भित सोच.

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

andhvishwaas ko hatanee ki kavayad mei ye lekh bahut uttam hai...sundar

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

andhvishwaas ko hatanee ki kavayad mei ye lekh bahut uttam hai...sundar

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

इस तरह के पर्चों को पढना भी टाइम वेस्ट करना है।