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शुक्रवार, 15 मई 2009

एक स्वस्थ जनमत की आस में...

लोकसभा चुनावों की मतगणना आरम्भ होने में अब बामुश्किल 24 घण्टे भी नहीं बचे हैं। इसी के साथ नई सरकार का भविष्य भी तय होगा। दुर्भाग्यवश हमारे जो राजनेता एक दूसरे के विरूद्ध चुनावों के दौरान जहर उगल रहे थे, वही अब एक दूसरे से गलबहियां करते नजर आ रहे हैं। तमाम राजनैतिक दलों के घोषणा पत्रों में निहित मुद्दों का अब कोई अर्थ नहीं रहा, येन-केन-प्रकरेण दिल्ली की कुर्सी पर कब्जा करना एकमात्र उद्देश्य रह गया है।

चुनावों से पहले हर राजनैतिक दल अपराध मुक्त समाज एवं शुचिता की दुहाई देता है, पर राजनैतिक अखाड़े में उतरते समय ये सब बाते गर्त में ढकेल दी जाती हैं। किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत मिलना तो अब दूर रहा, ऐसे में जोड़तोड़ कर गठबन्धन बनाने और सरकार गठन के लिए सभी दल माफियाओं, ब्लैकमनी और हार्स ट्रेडिंग का सहारा लेते हैं। बैलेट (मतपत्र) और बुलेट (बन्दूक की गोली) का नापाक गठबन्धन तमाम विकासशील देशों सहित भारतीय लोकतंत्र की भी अजीब नियति बन चुका है।

बैलेट (मतपत्र) और बुलेट (बन्दूक की गोली)-ये दोनों शब्द भले ही विरोधाभासी हों पर इन दोनों शब्दों की उत्पत्ति अंग्रेजी के एक ही शब्द ’बाल’ (गंेद) से हुई है। ग्रीकवासियों को जब किसी प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करना होता था, तो वे उसके खाते में सफेद बाल छोड़ते थे, और विपक्ष में होने पर काली गेंद। ’ब्लैकबाल्ड’ टर्म की उत्पत्ति भी इसी से हुई है। सफेद गेंद यानी ’बैलेट’ और काली गेंद यानी ’बुलेट’, है न यह है हैरान करने वाली अनोखी बात!

‘कैंडिडेट्‘ (प्रत्याशी) शब्द की उत्पत्ति भी अजूबा उत्पन्न करती है। इसकी उत्पत्ति लैटिन के शब्द ‘कैडीडेट्स‘ से हुई है। कैंडीडेट्स का मतलब होता है सफेद पोशाक या सफेद पहनावा। कालांतर में यह सफेद पोशाक ही नेताओं की पहचान बन गई। यह पहचान कैंडीडेट को चिन्हित करने के लिए था, जो बाद में नेताओं की पोशाक बना। विशेषकर भारतीय नेताओं ने तो इसे हूबहू अपना लिया। पहले खादी का सफेद कुर्ता-पायजाना चलन में था, लेकिन अब सफेद पैंट-शर्ट भी नई पीढ़ी के नेताओं द्वारा इस्तेमाल में लाया जा रहा है।

फिलहाल ‘कैडीडेट्स‘ का ई0वी0एम0 और बैलेट (मतपत्र) में कैद भाग्य कल 16 मई 2009 को खुलेगा। आशा की जानी चाहिए कि भारतीय लोकतंत्र एक स्वस्थ जनमत की ओर अग्रसर होगा एवं तद्नुसार निर्मित सरकार संकीर्ण हितों की बजाय राष्ट्र के विकास एवं उन्नति की ओर अग्रसर होगी और एक राष्ट्र के रूप में भारत मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अशिक्षा इत्यादि समस्याओं से दूर एक समृद्विशाली राष्ट्र के रूप में नई ऊँचाइयों को छुए।

राम शिव मूर्ति यादव
http://www.yadukul.blogspot.com/

3 टिप्‍पणियां:

KK Yadav ने कहा…

आशा की जानी चाहिए कि भारतीय लोकतंत्र एक स्वस्थ जनमत की ओर अग्रसर होगा एवं तद्नुसार निर्मित सरकार संकीर्ण हितों की बजाय राष्ट्र के विकास एवं उन्नति की ओर अग्रसर होगी ....Hamari bhi soch kuchh aisi hi hai.

KK Yadav ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
बेनामी ने कहा…

chaliye gyan men kuchh vriddhi huyi..dhanyvad.