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रविवार, 3 मई 2009

खुशबू बिखेरती बेटियाँ

घर भर को जन्नत बनाती है बेटियाँ
अपनी तब्बुसम से इसे सजाती है बेटियाँ
पिघलती है अश्क बनके,माँ के दर्द से
रोते हुए भी बाबुल को हंसाती है बेटियाँ
सुबह की अजान सी प्यारी लगे
मन्दिर के दिए की बाती है बेटियाँ
सहती है दुनिया के सारे ग़म
फ़िर भी सभी रिश्ते निभाती है बेटियाँ
बेटे देते है माँ बाप को आंसू
उन आंसुओं को सह्जेती है बेटियाँ
फूल सी बिखेरती है चारों और खुशबू
फ़िर भी न जाने क्यूँ जलाई जाती है बेटियाँ !!

5 टिप्‍पणियां:

"अर्श" ने कहा…

betiyon ke bare me jitani likhi jaaye kam hai ...badhayeeyaan..


arsh

SUNIL KUMAR SONU ने कहा…

beti vo he jo maan ki zerox copy pyar deti he

Akanksha Yadav ने कहा…

सुबह की अजान सी प्यारी लगे॥, मन्दिर के दिए की बाती है बेटियाँ॥!....बेहद सुन्दर अभिव्यक्तियाँ.

Akanksha Yadav ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

सुन्दर भावों से भरी रचना.