घर भर को जन्नत बनाती है बेटियाँ
अपनी तब्बुसम से इसे सजाती है बेटियाँ
पिघलती है अश्क बनके,माँ के दर्द से
रोते हुए भी बाबुल को हंसाती है बेटियाँ
सुबह की अजान सी प्यारी लगे
मन्दिर के दिए की बाती है बेटियाँ
सहती है दुनिया के सारे ग़म
फ़िर भी सभी रिश्ते निभाती है बेटियाँ
बेटे देते है माँ बाप को आंसू
उन आंसुओं को सह्जेती है बेटियाँ
फूल सी बिखेरती है चारों और खुशबू
फ़िर भी न जाने क्यूँ जलाई जाती है बेटियाँ !!
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
5 टिप्पणियां:
betiyon ke bare me jitani likhi jaaye kam hai ...badhayeeyaan..
arsh
beti vo he jo maan ki zerox copy pyar deti he
सुबह की अजान सी प्यारी लगे॥, मन्दिर के दिए की बाती है बेटियाँ॥!....बेहद सुन्दर अभिव्यक्तियाँ.
सुन्दर भावों से भरी रचना.
एक टिप्पणी भेजें