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बुधवार, 1 अप्रैल 2009

प्रथम युवा महिला सांसद : तारकेश्वरी सिन्हा

आज भारतीय राजनीति में तमाम युवा चेहरे हैं. संसद के गलियारों में इन युवाओं की धूम है पर एक दौर ऐसा भी था जब युवा चेहरे वह भी युवा महिला बमुश्किल ही संसद में देखने को मिलते थे. ऐसे समय में पहली लोकसभा में सबसे युवा चेहरा था- तारकेश्वरी सिन्हा का । मात्र 26 साल की उम्र में सांसद के तौर पर शपथ लेने वाली तारकेश्वरी सिन्हा नेहरू मंत्रिमंडल में उप-वित्त मंत्री भी रहीं। बिहार के बाढ़ संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ने वाली तारकेश्वरी सिन्हा एक बेहद संवेदनशील कवियत्री और अच्छी लेखिका भी थीं। उन्होंने अपनी यादों को सहेजकर कई संस्मरण भी लिखे। इनमें 'संसद में नहीं हूं, झक मार रही हूं' तो काफी लोकप्रिय रहा। यह संस्मरण उन्होंने लोकसभा चुनाव हारने के बाद लिखा। इतिहास गवाह है कि जब उनकी उम्र की लड़कियां सजने-संवरने में वक्त गंवा रही थीं, तारकेश्वरी सिन्हा 1942 के भारत छोडो आंदोलन में कूद पड़ीं। उस समय उनकी उम्र बमुश्किल 19 साल थी। फिर तो सिलसिला ही चल पड़ा और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलनों में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यही नहीं, तारकेश्वरी सिन्हा उन चंद लोगों में शामिल थीं, जिन्हें नालंदा में महात्मा गांधी की आगवानी करने का मौका मिला था। बताते हैं कि तारकेश्वरी सिन्हा के घरवालों को उनकी राजनीति में बढ़ती दिलचस्पी पसंद नहीं थी और जब उन्होंने छपरा के एक जमींदार परिवार में शादी की, तो घरवालों को यह सोचकर सुकून मिला कि शादी के बाद तारकेश्वरी सिन्हा राजनीति से दूर हो जाएंगी. पर देशभक्ति और समाज सेवा के जज्बे से भरपूर तारकेश्वरी को राजनीति से अलगाव मंजूर नहीं था। फिर तो वह लगातार भारतीय राजनीति में आगे बढ़ती गई। यहाँ तक कि मशहूर गीतकार गुलजार ने फिल्म 'आंधी' के मुख्य किरदार को इंदिरा गांधी के साथ-साथ तारकेश्वरी सिन्हा से भी प्रेरित बताया। आज भारतीय राजनीति में भले ही तमाम युवा महिलाएं आगे आ रही हैं और नए प्रतिमान स्थापित कर रही हैं पर वास्तव में युवा महिला शक्ति की अलख जगाने का श्रेय तारकेश्वरी सिन्हा को ही जाता है।

14 टिप्‍पणियां:

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

वाकई आज राजनीति में युवा शक्ति की जरुरत है. ऐसे में प्रथम युवा संसद तारकेश्वरी सिन्हा जी पर प्रस्तुत पोस्ट नई राह दिखता है.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

राजनीति में आज ऐसे ही उर्जावान और संवेदनशील लोगों की जरुरत है.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

इतिहास गवाह है कि जब उनकी उम्र की लड़कियां सजने-संवरने में वक्त गंवा रही थीं, तारकेश्वरी सिन्हा 1942 के भारत छोडो आंदोलन में कूद पड़ीं। उस समय उनकी उम्र बमुश्किल 19 साल थी।.....इस जज्बे के चलते ही आज नारी नित नए प्रतिमान स्थापित कर रही है.

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

...बेहद नूतन और उर्जावान जानकारी के लिए आभार !!

Bhanwar Singh ने कहा…

आज भारतीय राजनीति में भले ही तमाम युवा महिलाएं आगे आ रही हैं और नए प्रतिमान स्थापित कर रही हैं पर वास्तव में युवा महिला शक्ति की अलख जगाने का श्रेय तारकेश्वरी सिन्हा को ही जाता है ....ऐसे प्रखर व्यक्तित्व को नमन करता हूँ.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

यह सही है की आज संसद में तमाम महिलाएं हैं पर अभी भी उनका प्रतिनिधित्व बहुत कम है. तभी तो महिला-आरक्षण की मांग हो रही है. युवा शक्ति का भी प्रतिनिधित्व अभी और बढ़ना चाहिए.

बेनामी ने कहा…

वाकई आज राजनीति में युवा शक्ति की जरुरत है....पर ऐसे लोगों की नहीं जो युवाओं को ही उल्लू बनाकर अपना मतलब पूरा करते हैं.दुर्भाग्य से राजनीति में युवाओं को सब्जबाग ज्यादा दिखाए जा रहे हैं, उनकी समस्याओं का निराकरण कोई नहीं करना चाहता...इस पर भी सोचने की जरुरत है.

Unknown ने कहा…

इतिहास और सामान्य ज्ञान की दृष्टि से एक बेहतरीन जानकारी. ऐसे पोस्ट ही युवा ब्लॉग के उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं.

Unknown ने कहा…

@ बाजीगर जी !
आपकी बातों से असहमति जताना कठिन ही लगता है.

KK Yadav ने कहा…

बेहद सारगर्भित जानकारी. आज के युवाओं को सीख भी देते हैं ऐसे प्रेरणा-स्रोत.

KK Yadav ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
KK Yadav ने कहा…

बाजीगर महाशय !! कभी समय मिले तो मेरा यह लेख अवश्य पढें -
http://yuva-jagat.blogspot.com/2009/01/blog-post_12.html
कभी देश की आजादी में युवाओं ने अहम् भूमिका निभाई और जरूरत पड़ने पर नेतृत्व भी किया। कभी विवेकानन्द जैसे व्यक्तित्व ने युवा कर्मठता का ज्ञान दिया तो सन् 1977 में लोकनायक के आहृान पर सारे देश के युवा एक होकर सड़कांे पर निकल आये पर आज वही युवा अपनी आन्तरिक शक्ति को भूलकर चन्द लोगों के हाथों का खिलौना बन गये हंै।

Amit Kumar Yadav ने कहा…

चर्चा में चर्चा का अपना ही महत्व है और मजा भी...इसे जारी रखें !!

CSK ने कहा…

नारी विमर्श......!

"नारी नही काम- क्षुधा है ,
नारी तो जीव -सुधा है ...
प्रतिमा है वह आदर्श दया की नारी ,
वह तो स्नेह हरित वसुधा है ....!"