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रविवार, 28 दिसंबर 2008

एक युवा अधिकारी

जब मैंने सरकारी नौकरी ज्वाइन की
तो कुछ कर गुजरने का जज्बा था
हर फाइल को उसी दिन निपटाने का साहस
हर व्यक्ति को ठीक से सुनने का साहस
हर गलत व्यक्ति को दण्ड देने का साहस
पर धीरे-धीरे मुझे लगा
यही चीजें मेरे विरूद्ध जा रही हैं
लोगों को जनसंवेदनाओं से मतलब नहीं
बस अपने-अपने स्वार्थों से मतलब है
ट्रांसफर-पोस्टिंग, प्रमोशन और
उनकी गलतियों को अनदेखा करना
आखिरकार मेरे एक सीनियर ने भी समझाया
भाई ज्यादा उछल-कूद मत करो
जिन्दगी में समझौतावादी बनो
यहाँ कोई नहीं देखता कि आपने क्या किया
बस आपकी सी0आर0 देखी जाती है
उसे ही ठीक-ठाक रखने का प्रयास करो
मुझे अपने अन्दर कुछ टूटता सा नजर आया
वो सपने, जज्बे और सिविल सर्विस में चयन का जोश
सब कुछ ठंडा होता नजर आया
व्यवस्था मुझे चारों तरफ से कसती जा रही थी
और मैं अपने अन्दर के युवा अधिकारी को
एक नौकरशाह बाबू के रूप में बदलते देख रहा था।

13 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बड़ी क्रन्तिकारी बात कह दी अपने !!

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

लोगों को जनसंवेदनाओं से मतलब नहीं
बस अपने-अपने स्वार्थों से मतलब है....Nice poem.keep it up.

अजित वडनेरकर ने कहा…

यथास्थितिवादिता ही बाबू मानसिकता है। युवामन को इससे बचना होगा।
अच्छा लगा। स्वागत है।
शुभकामनाए....

BrijmohanShrivastava ने कहा…

नया साल आपको मंगलमय हो

अनुपम अग्रवाल ने कहा…

आज लगा कि कोई मन की अनुभूति को शब्द दे रहा है.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

यथार्थ की कड़वाहट यूँ ही स्तब्ध करती है,
पर ज़िन्दगी जीना है,
कीचड़ में कमल बन्ने की प्रक्रिया अपनानी होती है,
असली-नकली चेहरों की पहचान बनानी पड़ती है........
बहुत ही अच्छा लिखा है,सच लिखा है

vijay kumar sappatti ने कहा…

aapne is kavita mein ek bahut badi baat kah di hai ..
ek insaan kis tarah se vivash ho kar babu mein paravartit hota hai .. bahut hi sundar dhang se aapne bataya hai ..

badhai ..

kuch kavitao ke liye mere blog par awashay aayen .

dhanyawad.

vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/

आशीष कुमार 'अंशु' ने कहा…

युवा को आपने अपने ब्लॉग का विषय बनाया ... आभार

Akanksha Yadav ने कहा…

यहाँ कोई नहीं देखता कि आपने क्या किया
बस आपकी सी0आर0 देखी जाती है
उसे ही ठीक-ठाक रखने का प्रयास करो...Shayad Govt. services ki yahi hakikat hai.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

'yuva' blog ko apna pyar yun hi dete rahen.

Unknown ने कहा…

अद्भुत ! बड़ी स्पष्टवादिता है इस कविता में.

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

कुछ ज्यादा सच्चाई तो नहीं बयां कर दी आपने ?

संत शर्मा ने कहा…

Imandari se aapne kartavyo ka nirbah karne ka jajba lekar gaye ek yuva adhikari ki manahsthiti ka katu kintu sajiv chitran kiya hai aapne. Dhara ke viprit bahne ka prayash hamesa mushkilo se bhara hota, lekin jo yesa karne ka hausala rakhte hai aur immandari purvak prayash karte hai, wo hi bhawi pedhi ke liye mishal ban pate hai.