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शुक्रवार, 26 दिसंबर 2008

दोस्ती बनाम प्रेम

पिछले दिनों कॉलेज कैम्पस में दोस्तों के संग बैठी थी। अचानक एक दोस्त ने बड़ा अजीब सा सवाल उछाल दिया-''क्या लड़कियों से प्रेम ही किया जा सकता है, दोस्ती नहीं ?''....पहले तो यह सवाल अटपटा सा लगा, फिर लगा कि इसमें दम है. आखिर समाज लड़का-लड़की के सम्बन्ध को उसी परम्परागत नजरिये से क्यों देखता है. इक्कीसवीं सदी में आकर हम बड़ी-बड़ी बातें भले ही करने लगे हों, विकास के सारे रस्ते खुल गए हों, पर समाज अभी भी लड़का-लड़की के सम्बन्ध को एक सामान्य बात मानने को तैयार नहीं होता. वह इसमें 'चक्कर' वाला लफड़ा खोजता रहता है. मुझे लगता है कि आधुनिक दौर में जहाँ एक ओर सहशिक्षा है, वहीं लड़के-लड़कियाँ एक ही साथ नौकरी भी कर रहे हैं। ऐसे में विभिन्न क्रियाकलापों में उन्हें एक दूसरे के सहयोग की आवश्यकता पड़ती है। जिसके लिये उनमें मित्रता भाव होना जरूरी है। यह जरूरी नहीं कि ऐसे सभी मित्रों से प्रेम ही किया जाय क्योंकि प्रेम एक आत्मीय व भावनात्मक रिश्ता होने के साथ निहायत व्यक्तिगत अनुभूति है जबकि दोस्ती कईयों के साथ हो सकती है....... !!!
रश्मि सिंह

14 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

बदलते परिवेश में आपके विचार सही हैं.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

यह जरूरी नहीं कि ऐसे सभी मित्रों से प्रेम ही किया जाय क्योंकि प्रेम एक आत्मीय व भावनात्मक रिश्ता होने के साथ निहायत व्यक्तिगत अनुभूति है जबकि दोस्ती कईयों के साथ हो सकती है...Do agree with u.

Bahadur Patel ने कहा…

rashmi ji,
aap sahi kah rahi hain.
hamare samaj me logon ki samajh abhi bhi bahut pichhadi hui hai.
par hame is tarah chhitakashi par dhyn na dete huye dosti barkarar rakhani chahiye.
aapne achhi bat rakhi.dhanywad.

बेनामी ने कहा…

पर समाज अभी भी लड़का-लड़की के सम्बन्ध को एक सामान्य बात मानने को तैयार नहीं होता. वह इसमें 'चक्कर' वाला लफड़ा खोजता रहता है...........क्या करें यही तो समाज का दंद है, जिससे वह निकल नहीं पाता.

Aadarsh Rathore ने कहा…

दोस्ती भी प्रेम का ही रूप है और प्रेम के रूप में हम एक दोस्त ही तो पाना चाहते हैं, मायने सिर्फ अपेक्षाओं के आधार पर बदल सकते हैं

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

दोस्ती और प्रेम के बीच कभी-कभी बहुत झीना आवरण रह जाता है. अत: युवा पीढी को सोच-समझकर कदम उठाने की जरुरत है.

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

उत्तम विचार.

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर. कभी हमारे यहाँ भी तशरीफ़ लायें तो मेहरबानी होगी.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

एक अहम् सवाल और उसके साथ आपकी सोच का स्वरुप -
काफी गहरा और समयानुकूल है,
स्वस्थ विचारों के साथ दोस्ती का सम्बन्ध कायम होता है,
हाँ स्वस्थ होना ज़रूरी है सोच से ......
बहुत अच्छा लगा आपको पढना

KK Yadav ने कहा…

वक़्त के साथ कदमताल करते विचारों को पढ़कर अच्छा लगा.

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

रश्मि जी
नमस्कार
आपके द्बारा लिखा गया आलेख वास्तविकता के धरातल पर एक दम सही है, बस आपकी भावनाओं का निश्छल होना अनिवार्य है. " हम भले तो जग भला " वाली कहावत सही है लेकिन बस आँख बंद कर के कोई भी कदम न बढायें
आपके विचार नेक हैं , बधाई.
आपका
विजय

Akanksha Yadav ने कहा…

एक अच्छा विषय उठाया.

Krishna The Universal Truth.. ने कहा…

absolutly right mam...i m agree with you...