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शनिवार, 27 जून 2015

ब्लॉगिंग के लिए आकांक्षा यादव को मिला परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान

अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन, कोलोम्बो-श्री लंका में  चर्चित ब्लॉगर-लेखिका आकांक्षा यादव को वर्ष 2015 के लिए सार्क देशों में दिए जाने वाले शीर्ष सम्मान “परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान“ से सम्मानित किया गया। 25 मई 2015 को  आयोजित इस पंचम अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन में आकांक्षा यादव को श्रीलंका के वरिष्ठ नाट्यकर्मी डॉन सोमरथ्न विथाना एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री  श्री नकुल दूबे द्वारा अंगवस्त्र, सम्मान पत्र, प्रतीक चिन्ह और 21000/- की धनराशि सम्मान स्वरुप  प्रदान की गई । इस अवसर पर ब्लॉगिंग और सोशल मीडिया में महिलाओं की भूमिका पर आकांक्षा यादव ने प्रभावी व्याख्यान भी दिया। आकांक्षा यादव भारतीय डाक सेवा के अधिकारी एवं सम्प्रति भारत सरकार में निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव की पत्नी हैं, जो की स्वयं चर्चित ब्लॉगर और साहित्यकार हैं। उक्त जानकारी अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर्स कांफ्रेंस के संयोजक  रवीन्द्र प्रभात ने दी।

       संयोजक  रवीन्द्र प्रभात ने बताया कि आकांक्षा यादव  ने वर्ष 2008 में ब्लाॅग जगत में कदम रखा और विभिन्न विषयों पर आधारित दसियों ब्लाॅग का संचालन-सम्पादन करके कई लोगों को ब्लाॅगिंग की तरफ प्रवृत्त किया और अपनी साहित्यिक रचनाधर्मिता के साथ-साथ ब्लाॅगिंग को भी नये आयाम दिये। “शब्द-शिखर“ (http://shabdshikhar.blogspot.in) इनका प्रमुख ब्लॉग है, जो कि हिंदी के लोकप्रिय ब्लॉगों में गिना जाता है।  नारी विमर्श, बाल विमर्श एवं सामाजिक सरोकारों सम्बन्धी विमर्श में विशेष रुचि रखने वाली आकांक्षा यादव अग्रणी महिला ब्लॉगर हैं और इनकी रचनाओं में नारी-सशक्तीकरण बखूबी झलकता है। इनके ब्लॉग को अब तक लाखों लोगों ने पढा है और करीब सौ ज्यादा देशों में इन्हें देखा-पढा जाता है। 

       
 गौरतलब है कि आकांक्षा यादव को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इससे पूर्व भी ब्लॉगिंग हेतु तमाम प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा  “अवध सम्मान“, हिंदी ब्लॉगिंग के दशक वर्ष में  “दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दम्पति“ का सम्मान, नेपाल में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय ब्लाॅगर सम्मेलन में “परिकल्पना  ब्लॉग विभूषण सम्मान“ से सम्मानित किया जा चुका है।  इसके अलावा विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाॅक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘डाॅ. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘ व ‘‘वीरांगना सावित्रीबाई फुले फेलोशिप सम्मान‘, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ’भारती ज्योति’, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, निराला स्मृति संस्थान, रायबरेली द्वारा मनोहरादेवी स्मृति सम्मान सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु दर्जनाधिक सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हैं ।

सोमवार, 26 जनवरी 2015

युवा ब्लॉगर कृष्ण कुमार यादव भूटान में “परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान’’ से सम्मानित

चर्चित ब्लाॅगर व साहित्यकार एवं सम्प्रति इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव को हिंदी साहित्य और ब्लाॅग पर संस्मरणात्मक सृजन के लिए 15-18 जनवरी 2015 के दौरान भूटान की राजधानी थिम्पू में आयोजित चतुर्थ अन्तर्राष्ट्रीय ब्लाॅगर सम्मेलन में ब्लाॅगिंग हेतु सर्वोच्च “परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान’’ से सम्मानित किया गया। श्री यादव को उक्त सम्मान भूटान चेंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के जनरल सेक्रेटरी श्री फूप श्रृंग एवं इंटरनेशनल स्कूल ऑफ भूटान तथा सार्क समिति ऑफ विमेन ऑर्गनाइजेशन  की अध्यक्ष श्रीमती थिनले लम्हा द्वारा दिया गया। सम्मान के तहत 25,000 रूपये की धनराशि, सम्मान पत्र, प्रतीक चिन्ह, श्रीफल और अंगवस्त्रम  देकर श्री कृष्ण कुमार यादव को सम्मानित किया गया। उक्त जानकारी सम्मलेन के संयोजक श्री रवीन्द्र प्रभात ने दी। 


राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी साहित्यिक रचनाधर्मिता के साथ-साथ 7 पुस्तकों के लेखक एवं हिन्दी ब्लाॅगिंग व सोशल मीडिया को नये आयाम देनेवाले श्री कृष्ण कुमार यादव को इससे पूर्व भी शताधिक प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। श्री यादव ने वर्ष 2008 में ब्लाॅग जगत में कदम रखा और विभिन्न विषयों पर आधारित दसियों ब्लाॅग का संचालन-सम्पादन करके कई लोगों को ब्लाॅगिंग की तरफ प्रवृत्त किया। कृष्ण कुमार यादव के दो व्यक्तिगत ब्लॉग हैं। इनमें “शब्द सृजन की ओर“ (http://kkyadav.blogspot.com) ब्लॉग सामयिक विषयों, मर्मस्पर्शी कविताओं व जानकारीपरक, शोधपूर्ण आलेखों से परिपूर्ण है; वहीं “डाकिया डाक लाया“ (http://dakbabu.blogspot.com) डाक सेवाओं की रोचक दुनिया को सहेजता है। इन ब्लॉग  को अब तक लाखों लोगों ने पढ़ा है और करीब सौ ज्यादा देशों में इन्हें देखा-पढ़ा जाता है।

     गौरतलब है कि श्री कृष्ण कुमार यादव यादव सिर्फ व्यक्तिशः नहीं बल्कि सपरिवार ब्लाॅगिंग के क्षेत्र में सशक्त दखल रखते हैं। उनकी सुपुत्री अक्षिता (पाखी) को जहाँ भारत सरकार द्वारा ब्लाॅगिंग के लिए राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है, वहीं पत्नी आकांक्षा यादव भी अग्रणी महिला ब्लॉगर हैं। यादव दम्पति को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा “अवध सम्मान“, हिंदी ब्लॉगिंग के दशक वर्ष में सपत्नीक “दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दम्पति“ का सम्मान एवं नेपाल में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय ब्लाॅगर सम्मेलन में भी सम्मानित किया जा चुका है।  

       सम्मेलन के दौरान वैश्विक परिप्रेक्ष्य विशेषकर सार्क देशों में हिन्दी के पठन-पाठ्न, हिन्दी साहित्य के प्रचार-प्रसार, न्यू मीडिया के रूप में ब्लॉगिंग के विभिन्न आयामों एवं बदलते दौर में सोशल मीडिया की भूमिका इत्यादि विषयों पर भी चर्चा हुई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भूटान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महासचिव श्री फूब शृंग ने कहा कि भूमण्डलीकरण के इस दौर में विभिन्न देशों के साहित्य, संस्कृति एवं परिवेश को ब्लागिंग और सोशल मीडिया के माध्यम से न सिर्फ महसूस किया जा सकता है बल्कि उसे विस्तार भी दिया जा सकता है। उन्होंने  भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं राष्ट्रपति की हालिया भूटान यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि भूटान में अंतर्राष्ट्रीय  ब्लागर सम्मेलन को भी उसी कड़ी  में देखने की जरूरत है। सार्क समिति के महिला विंग  की अध्यक्ष श्रीमती थिनले ल्हाम ने कहा कि नारी सशक्तीकरण पर आज विश्व भर में चर्चा हो रही है और ऐसे में सार्क देशों में ब्लागिंग से जुडी तमाम महिलाओं को देखना एक सुखद एहसास देता है। 

इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ और ब्लॉगर श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि ब्लॉगिंग  न सिर्फ देशों और भाषाओं के बीच दूरियाॅं कम करती है बल्कि यह विभिन्न प्लेटफार्म पर काम कर रहे लोगों के विचारों को एकाकार रूप में देखने की सहूलियत भी देती है । ब्लागिंग व सोशल मीडिया के समाजिक सरोकारों पर चर्चा करते हुए इसे उन्होंने  दूर दराज के इलाकों तक भी जोडने की बात कही। असम विश्वविद्यालय सिल्चर के भाषा विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर नित्यानन्द पाण्डेय  ने कहा कि हिन्दी को समृद्ध करने में ब्लागिंग का महत्वपूर्ण योगदान है और इसके माध्यम से दुनिया भर के लोग हिन्दी से जुड रहे हैं। वरिष्ठ व्यंग्यकार गिरीश पंकज ने अपने उद्बोधन में हिंदी ब्लॉगिंग के विभिन्न पहलुओं की चर्चा करते हुए इसे पुस्तकाकार रूप में भी लिपिबद्ध करने की बात कही। 

सम्मेलन के संयोजक श्री रवीन्द्र प्रभात ने कहा कि भूटान में अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉग सम्मलेन आयोजित करने के पीछे उद्देश्य हिंदी संस्कृति को भूटानी संस्कृति के करीब लाना और हिंदी भाषा को यहाँ के वैश्विक वातावरण में प्रतिष्ठापित करना है। उन्होंने बताया कि सम्मेलन का मूल उद्देश्य दक्षिण एशिया में ब्लॉग के विकास हेतु पृष्ठभूमि तैयार करना, हिंदी-संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना, भाषायी सौहार्द्रता एवं सांस्कृतिक अध्ययन-पर्यटन का अवसर उपलब्ध कराना है। 


‘‘अंतरराष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन‘‘ के दौरान  उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से ब्लॉगर और साहित्यकार एवं निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव, हैदराबाद की सम्पत देवी मुरारका और रायपुर छतीसगढ़ के ललित शर्मा को  सर्वोच्च 'परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान' से नवाजा गया। इस सम्मान के अंतर्गत उन्हें 25,000 की धनराशि, स्मृति चिन्ह, सम्मान-पत्र और अंगवस्त्र प्रदान किए गए। साथ ही महाराष्ट्र के औरंगाबाद की अनुवादक सुनीता प्रेम यादव को परिकल्पना सार्क सम्मान प्रदान किया गया। इस सम्मान के अंतर्गत उन्हें पाँच  हजार की धनराशि, स्मृति चिन्ह, सम्मान-पत्र और अंगवस्त्र प्रदान किए गए। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के जनपदों मसलन सुल्तानपुर के डॉ राम बहादुर मिश्र को परिकल्पना साहित्य भूषण सम्मान, बाराबंकी के  एडवोकेट रणधीर सिंह सुमन व डॉ विनय दास को क्रमशः परिकल्पना सोशल मीडिया सम्मान और परिकल्पना कथा सम्मान, लखनऊ की कुसुम वर्मा को परिकल्पना लोक-संस्कृति सम्मान, बहराइच के डॉ अशोक गुलशन को परिकल्पना हिन्दी गौरव सम्मान, रायबरेली से सूर्य प्रसाद शर्मा को परिकल्पना साहित्य सम्मान तथा हैदरगढ के ओम प्रकाश जयंत व विष्णु कुमार शर्मा को क्रमशः को परिकल्पना साहित्य श्री सम्मान व परिकल्पना सृजन श्री सम्मान तथा उन्नाव के विश्वंभरनाथ अवस्थी को परिकल्पना नागरिक सम्मान प्रदान किए गए। इसके अलावा इंदौर के प्रकाश हिन्दुस्तानी, रायपुर के गिरीश पंकज, अल्पना देशपांडे, अदिति देशपांडे, दिल्ली की सर्जना शर्मा और निशा सिंह, मुंबई से आलोक भारद्वाज, सिल्चर की डॉ शुभदा पाण्डेय आदि के साथ-साथ  देश-विदेश के लगभग तीस ब्लॉगर्स को विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए परिकल्पना सम्मान से नवाजा गया। 

इस अवसर पर पांच पुस्तकों क्रमशः संपत देवी मुरारका की यात्रा वृत्त तृतीय भाग, कुसुम वर्मा की ह्रदय कँवल, सूर्य प्रसाद शर्मा निशिहर की संघर्षों का खेल, विष्णु कुमार शर्मा की दोहावली, अशोक गुलशन की क्या कहूँ किससे कहूँ और परिकल्पना समय पत्रिका के जनवरी अंक के विमोचन के साथ-साथ परिकल्पना कोश  वेबसाईट का लोकार्पण हुआ, वहीं रायपुर छत्तीसगढ़ की अल्पना देशपांडे और अदिति देशपांडे की कलाकृतियों की प्रदर्शनी का लोकार्पण संपन्न हुआ।  इस अवसर पर कुसुम वर्मा के अवधी लोकगीतों की खुशबू में नहाई भूटान की एक शाम। डॉ राम बहादुर मिश्र के कुशल संचालन में सुर सरस्वती और संस्कृति की त्रिवेणी प्रवाहित करती काव्य संध्या और ब्लॉग पर हाशिए का समाज परिचर्चा में शामिल हुए भारत और भूटान के एक दर्जन से ज्यादा ब्लोगर्स। कार्यक्रम का  संचालन महाराष्ट्र के औरंगाबाद निवासी श्रीमती सुनीता प्रेम यादव ने किया।

बुधवार, 17 सितंबर 2014

गया श्राद्ध

कान में 
ईयरफोन लगाये 
मोबाइल से गाना 
सुनने में मस्त वीरू 
मजदूर मंडी में 
अपनी बारी की प्रतीक्षा 
कर रहा था 
सुबह  का दस 
पार हो रहा था 
मै भी एक मजदूर की 
तलाश में वहाँ 
उपस्थित था 

मुझे देखते ही वह 
कान से  इयरफोन 
निकालते हुए 
मेरी ओर लपका 
साथ के आठ दस 
मजदूर भी आगे लपके 
कार्य की प्रकृति और 
रेट पर चर्चा हो रहा था 
पर वह एक ओर 
किनारे खड़ा था 
अपनी भाव भंगिमा से 
मुझे मुग्ध कर रहा था 

मैंने उसको पास बुलाया 
काम करना है 
करना है साब 
क्या लोगे 
दो सौ साठ का रेट 
चल रहा है 
मगर इग्यारह बज रहे है 
कान से इयरफोन 
निकालते वह बोला
साब एक घंटा बेसी 
खटवा लेना  
आज सुबह ही एक ट्रक 
बालू ठीके पर फेका है 
शाम को भी गिट्टी का 
एक ठेका लिया है 

कितना काम करोगे यार 
करना पड़ेगा साब 
बाबू का गया श्राद्ध 
आज से आठवें दिन करेका है 
माई का फोन परसों अव रहे 
कि बचवा तनी कस के 
कमावे का है 
बहुत दिनन से तुम्हरे 
बाबू के गया बिठावे का 
काम पड़ा है 
उनकी आत्मा बेचैन 
होइ रहित होइए 
पंडित जी बारह हजार का 
खर्चा बतावा रहेन 
वही पाछे हम हियन 
दिन रात खट्टित है 

बाबू के मरे 
कितना दिन हुआ 
साब दस साल के ऊपर 
होइ गवा 

खैर वह 
मेरे साथ आया 
दिन भर काम के उपरांत 
अपनी मजदूरी ले 
वापस चला गया 

शाम को 
किसी काम से 
मै उसी मजदूर मंडी 
की ओर जा रहा था 
एक जगह भीड़ देख 
आशंकावश 
ठिठक गया था 

सामने बीरू 
बेहोश पड़ा था 
उसके साथी बेचैन हो 
उसको पंखा झल रहे थे 
साथ साथ आपस में 
चर्चा कर रहे थे 
सरवा बाऊ के 
गया बिठावे वदे 
जान देइ काम करित है 
ससुर नाती नाही  
बाऊ एका 
कब का चला गईंन 
इहो माई अउर नइकि
मेहरारू के छोड़ 
हुवन  जाये  
तैयारी करित है  

निर्मेष